यूँ तो हर लम्हा खुदको समेटते रहेते हैं, फिर भी ख्वाहिश है "एक लम्हा", यूँ तो हर लम्हा खुदको समेटते रहेते हैं, फिर भी ख्वाहिश है "एक लम्हा",
आज ज़रा सुस्ता के बेठी यादों की एकांत सीढ़ियों में, याद कर रही उस लम्हें को! आज ज़रा सुस्ता के बेठी यादों की एकांत सीढ़ियों में, याद कर रही उस लम्हें क...
काश वक़्त वहीं रुक गया होता काश वक़्त वहीं रुक गया होता
सच में समय कितनी जल्दी निकल जाता है. सच में समय कितनी जल्दी निकल जाता है.
अच्छे लम्हे को सब अपनी याद की पोटली में संभालखर रखते हैं। अच्छे लम्हे को सब अपनी याद की पोटली में संभालखर रखते हैं।